THE 5-SECOND TRICK FOR भाग्य VS कर्म

The 5-Second Trick For भाग्य Vs कर्म

The 5-Second Trick For भाग्य Vs कर्म

Blog Article

जब तक इंसान को कामयाबी मिलती रहती है वो अपने कर्म के गीत गाता है, और असफलता मिलते ही ज्योतिषी के पास भागता है

यदि आपका सोचना है कि -“कर्म हमेशा भाग्य से बड़ा होता है!

अस्पताल में फिलहाल डॉक्टरों की एक विशेषज्ञ टीम उनकी स्थिति पर करीबी निगरानी रख रही है। हालांकि अब तक अस्पताल की ओर से कोई आधिकारिक मेडिकल बुलेटिन जारी नहीं किया गया है।

ऐसा नहीं है, आप कर्म ही वो करते हो जो आपके भाग्य में लिखा होता है, इसका आपको पता नहीं चलता,आपको पता भी नहीं होता कि अगले एक घंटे में आप क्या सोचोगे, और आप ने आज जो सोचा है उसका नतीजा कैसा होगा,आप पहली बार कर्म करके असफल हो जाओगे या दस बार कर्म करने पर कामयाब होगे, ये भाग्य ही निर्धारित करता है,क्या आपको मालूम है कि दो महीन बाद आप कौन सा कर्म करोगे या आपको कौन सा कर्म करना पडेगा, कोई अचानक आप को मिल जाएगा जो या तो आपकी ज़िन्दगी बदल देगा या नुक्सान कर देगा,कितनी बार हम ये सोचते हैं कि ओहो ये बात मेरे दिमाग में पहले क्यों नहीं आई, लेकिन तब तक देर हो चुकी होती है, कर्म अपने आप में सही है, लेकिन आप कर्म भी उतना ही कर पाते हो जितना आपने भाग्य में लिखा है, जैसे आप रोटी उतनी ही खा पाते हो जितना भगवान् ने आप को पेट दे कर भेजा है.

संसार में तीन प्रकार के लोग हैं। एक भाग्यवादी, जो कि मानते हैं कि सब कुछ पहले से ही नियत है इसलिए पुरुषार्थ करके भी क्या बदल जाएगा। दूसरे हैं पुरुषार्थवादी, जिन्हें लगता है कि भाग्य कुछ नहीं होता, कर्म ही सब कुछ है। तीसरे होते हैं परमार्थी, जो परमअर्थ अर्थात परमात्मा को ही सब कुछ मानते हुए लाभ-हानि में सम रहकर जीवन व्यतीत करते हैं। मनीषियों ने तीसरी श्रेणी के लोगों को उत्तम प्रवृत्ति का बताया है। ऐसे व्यक्ति किसी भी परिस्थिति में आनंदमय अर्थात शांत भाव से जीवन-यापन करते हैं।

कर्म करने वालों से जो बच जाता है वही भाग्य पर भरोसा करने वालों को मिलता है”

भाग्य और कर्म का एक ही मतलब नहीं होता। भाग्य आपके द्वारा एकत्रित किए गए कर्मों द्वारा निर्धारित होता है। और कर्म आपके द्वारा किए गए कार्यों का परिणाम होता है। इस प्रकार, कर्म का मूल सिद्धांत यह है कि व्यक्ति जो भी सोचता है, बोलता है, या अपने जीवनकाल में करता है, उसका परिणाम उसी व्यक्ति के जीवन पर पड़ता है। कर्म का उद्देश्य परिणाम के नियम को तोड़ना है, न कि प्रारंभिक भाग्य Vs कर्म विचार। हमारी वर्तमान स्थिति पिछले कार्यों का परिणाम है और वर्तमान कार्यों के परिणाम भविष्य की स्थिति का कारण बनेंगे। यह अच्छे या बुरे को मानदंड प्रदान करता है ताकि लोग सही और उचित जीवन जी सकें जो खुद के साथ-साथ समाज के लिए भी कुछ सकारात्मक जोड़ता है।

Karm pradhan vishv kr rakh,jo js kr hi so ts fl chakha.…..arthat vishv m krm Hello pradhan h…jo jaisa karm krta h vaisa Hello fl milta h. krm se Hello bhagya k nirman hota h.n ki bhagya se krm ka..

आचार्य जी– हां मैं ये सब जानता हूं, पर मैं तो आपसे वही पूछ रहा हो जो मेरे मन में आपकी बातों से सवाल बन रहे हैं। अच्छा आप खुद ही बताएं कि अगर हम भाग्य को बदल नहीं सकते और समय से पहले हमें कुछ नहीं मिल सकता, तो हम ज्योतिषाचार्य के पास जाकर भी क्या पा लेंगे?

निश्चित तौर पर वो उतने अच्छे नंबर नहीं लाएगा

खुदा बंदे से खुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है।

आचार्य जी-तो फिर आप ज्योतिष सीख कर क्या करना चाहते हो?

मेरी भी एक दिन एक विद्वान महापुरुष से मुलाकात हुई जो आध्यात्म में काफी जाने माने और ज्योतिष में भी विख्यात महापुरुष हैं। मेरी बहुत इच्छा थी की मैं उनसे ज्योतिष सीख सकूं। एक दिन मैं उनके आश्रम पहुंच गया जहां वह अपने अनुयायियों के साथ कुछ वार्तालाप कर रहे थे।

अंत में, अब अगर मेरे विचार आपको तार्किक लगें व् कर्म की ओर प्रेरित करें तो आप इसे क्या कहेंगे … “ मेरा कर्म या मेरा भाग्य “ फैसला आप पर है 

Report this page